नई मुसीबत मांस खाने वाले बैक्टीरिया आ गए \ Flesh – eating bacteria arrived in trouble
”तीन की मौत वजह मांस खाने वाले बैक्टीरिया”
मांस और घाव की वजह से हमारे शरीर में घुस जाते हैं और इससे भारत को कितना खतरा है इस बात का आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते
कनेक्टिकट और न्यूयॉर्क अमेरिका के इन दो राज्यों में मांस खाने वाले बैक्टीरिया की वजह से 3 लोगों की मौत हो चुकी है इनमें से एक व्यक्ति ने होटल में कच्ची फिश खाकर और दो लोग समुद्र में तैरने की वजह से इनके शरीर में बैक्टीरिया वाइब्रियो वलनिफिकस के प्रवेश के कारण संक्रमण हो गया था। यह बैक्टीरिया मांस खाता है। इस बैक्टीरिया से संक्रमित होने वाले 5 लोगों में से एक व्यक्ति के एक दिन बाद मौत हो जाती है इसी कारण 28 जुलाई कोकनेक्टिकट के हेल्थ डिपार्टमेंट में समुद्र के खारे पानी में ना उतरने के लिए चेतावनी जारी की । और कच्ची फिश खाने के लिए भी मना किया ।
अब हम आपको बताते हैं कि यह मांस खाने वाला बैक्टीरिया कैसे अपना शिकार करता है और कैसे लोगों को संक्रमित करता है। आइए जानते हैं।
यह बैक्टीरिया है क्या-
अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार जो बैक्टीरिया मांस खाते हैं उन्हें नैक्रोटाइजिंग फासिसाइटिस कहा जाता है। जब यह बैक्टीरिया किसी इंसान की कटी फटी त्वचा और घाव के माध्यम से शरीर में घुसते हैं तो इनका पोषण हमारे शरीर की कोशिकाएं और ऊतक को कहते हैं। कोशिकाओं से मिलकर ऊतक बने होते हैं और उत्तकों से हमारे अंग का निर्माण होता है और यह बैक्टीरिया जब हमारे शरीर में घुस जाते हैं तो यह अपनी संख्या को बढ़ाते हैं। और यह हमारे अंग कोशिकाएं ऊतकों को अपने भोजन में ग्रहण करते हैं ।
यह बैक्टीरिया क्या है और कितना खतरनाक है –
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार विपरियों वाइब्रियो वलनिफिकस लैटिन भाषा का शब्द है। जिसमें वाइब्रियो का अर्थ है हिलना या कंपन करना और वेल्निफिंक्स का का मतलब है घायल करना।
इन प्रजाति के तीन प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं नंबर वन वाइब्रियो कोलेरा,व.पेराहामोलिटीकसवी,व. वलनिफिकस
यह बैक्टीरिया वाइब्रियो वलनिफिकस समुंद्र के तटीय क्षेत्रों में ज्यादातर पाया जाता है।
*पहली बार यह बैक्टीरिया 47 साल पहले मिला वाइब्रियो वालनिफिकस।
1976 में अमेरिका के होलीस एट अल शहर में पहली बार यह बैक्टीरिया मिला तब इसकी रिपोर्ट दर्ज की गई
**1976 में इस बैक्टीरिया ने कोरिया में महामारी जैसी स्थिति उत्पन्न कर दी थी।
**बैक्टीरिया पर रिसर्च के अनुसार संक्रमित 70 लोगों में से 45 की मौत हो गई थी।
**गर्मी के महीना में तटीय क्षेत्र में यह पाई जाने वाली पानी की शेलफिश और मछलियों में पाया जाता है।
*वाइब्रियो वेल्निफिंक्स बैक्टीरिया से खतरा कहां और कब है?
इससे संक्रमित रोगी में यह लक्षण दिखाई देते हैं मई से अक्टूबर में समुद्र का पानी गर्म हो जाता है तब इन बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है और यह तटीय क्षेत्रों में आ जाते हैं।
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जनरल के अनुसार जब इंसान समुद्र में नहाने के लिए उतरता है तो यह बैक्टीरिया उसे व्यक्ति के शरीर के किसी कट या घाव के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाता है।
या समुद्री जीव खाने की वजह से यह व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं उसे संक्रमित कर देते हैं और इंसान अपनी मौत के करीब चला जाता है। इसलिए अमेरिका के कई राज्यों में समुद्री पानी में ना उतरने के लिए चेतावनी जारी की गई है।
और समुद्री जीव और कच्ची फिश खाने के लिए मना किया गया है।

*कितना खतरनाक है बैक्टीरिया?-
आप सोच भी नहीं सकते कि यह बैक्टीरिया कितना खतरनाक है इस रोग से संक्रमित होने वाले 5 लोगों में से एक मरीज की मौत हो जाती है यह निर्भर करता है कि उस व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कितनी मजबूत है।
अगर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता है तो व्यक्ति एक से दो दिन में मर जाता है। उदाहरण के लिए जिस व्यक्ति का दिल कमजोर है मेरा दिल का रोग है या रोग है इन लोगों को संक्रमण बहुत जल्दी हो जाता है।
और मांस खाने वाले बैक्टीरिया हमारे शरीर में घुसते हैं उसके बाद हमारे रक्त कोशिकाओं को खाते हैं और अपनी संख्या को बढ़ाते हैं। इससे शरीर में खून एक जगह से दूसरी जगह जाना बंद हो जाता है। इससे शरीर के कई अंगों में खून की पूर्ति नहीं हो पाती है।
**संक्रमण के लक्षण –
फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन अमेरिकन सेंटर मतलब CDC के अनुसार संक्रमित रोगी को दस्त हो जाते हैं।
इसलिए संक्रमित रोगी में यह लक्षण दिखाई देते हैं जैसे बुखार ,ठंड लगना, घबराहट होना,उल्टी आना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। बैक्टीरिया के हमारे शरीर में प्रवेश करने के 24 घंटे बाद में यह सब लक्षण दिखाई देने लग जाते हैं। लगातार यह लक्षण 3 दिन तक दिखाई देते रहते हैं।
**संक्रमण कैसे फैलता है –
किसी इंसान के शरीर में मांस खाने वाले बैक्टीरिया के आक्रमण करने के 2 तरीके हैं।
१ कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह बैक्टीरिया हमारे शरीर के बाहरी भाग जैसे नाक और त्वचा पर रहते हैं लेकिन यह हमें नुकसान नहीं पहुंचते हैं यह तब तक नुकसान नहीं पहुंचते जब यह घाव या किसी और तरीके से हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और प्रवेश करने के बाद यह हमारे दिल फेफड़े मांसपेशियों इन सब में इन्फेक्शन कर देते हैं और तेजी से यह इंफेक्शन को फैलाते रहते हैं।
२ दूसरा तरीका–2004 में डॉक्टर जेफ इसबिस्टर ने इस प्रकार के बैक्टीरिया पर शोध किया और बताया कि यह किसी मकड़ी के काटने या कीट के काटने से नहीं बल्कि यह इन्फेक्शन घाव या खुजली से होने वाले बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से होता है। Flesh – eating bacteria arrived in trouble
मांस खाने वाले बैक्टीरिया तीन प्रकार के होते हैं–
Type 1–poly microbial
दो या दो से अधिक बैक्टीरिया के मिलने से यह इंफेक्शन होता है।
Type 2 –mono microbial
Streptococcus यह मानव के गले में पाया जाता है।
Streptococcus मानव के शरीर में यह पहले से उपस्थित होते हैं इनके इनफेक्टेड हो जाने से इन्फेक्शन फैलता है।
Type 3— vibrio vulnificus
यह समुंदर में गर्म गुनगुने पानी में पाए जाते हैं इसी कारण अमेरिका में आए इयान तूफान के कारण समुद्री जीव की वजह से बहुत सारे लोग संक्रमित हो गए और मरीजों में इन बैक्टीरिया की संख्या बढ़ गई थी।
इंफेक्शन से कैसे बचा जाए? –
इन बैक्टीरिया ”मांस खाने वाले से”बचने का कोई परमानेंट तरीका नहीं है इससे बचने के लिए इन सावधानियों का ध्यान रख सकते हैं आप कच्चे समुद्री जीवों को ना खाएं मतलब सीफूड और समुद्र के पानी में उतरने से बचें दूसरा अपने घाव या किसी तरह के आपके त्वचा संबंधी रोग हैं तो उसकी देखभाल और और सफाई का ध्यान रखें ।
**सबसे जरूरी जानकारी इस बैक्टीरिया से भारत को कितना खतरा है?-
इस बैक्टीरिया का संक्रमण सबसे ज्यादा सीफूड खान की वजह से फैलता है और भारत में इस खाने का कल्चर तेजी से बढ़ता जा रहा है जिससे भारत भी इसकी चपेट में आने के लिए तैयार है पशुपालन और डेयरी विभाग के अनुसार एक लाख करोड़ से भी ज्यादा सी फूड का बाजार है। हर साल 10 से 15 फ़ीसदी से ज्यादा यह व्यापार तेजी से बढ़ता जा रहा है।

ऐसी में हम यह नहीं बोल सकते कि भारत इस संक्रमण से बच सकता है यह रोग भारत में भी तेजी से बढ़ सकता है। हां लेकिन भारत के लोग सीफूड को पका कर खाते हैं इसी वजह से इस संक्रमण होने की आशंका थोड़ी कम हो जाती है । इस प्रकार हम यह नहीं कह सकते कि भारत में यह संक्रमण नहीं हो सकता। Flesh – eating bacteria arrived in trouble